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Showing posts from August, 2025

WTO: वैश्विक व्यापार में विकास और संरक्षणवाद का संतुलन

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WTO: Balancing development and protectionism in global trade by Ravi Kumar Manjhi. अमेरिका के एकतरफा शुल्क बढ़ाने के कदम ने WTO (World Trade Organization) की ताकत और भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे वैश्विक व्यापार में विवाद सुलझाने और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बनाए रखने की इसकी भूमिका कमजोर होती दिख रही है। विश्व व्यापार संगठन (WTO), 1995 में मैराकेश समझौते के तहत स्थापित, वैश्विक व्यापार का केंद्रीय मंच है। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है और 166 सदस्य देश इसका हिस्सा हैं, जो वैश्विक व्यापार का लगभग 98% प्रतिनिधित्व करते हैं। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मुख्य कार्य * नियम और वार्ता का मंच : WTO बहुपक्षीय मंच प्रदान करता है, जैसे 2013 का Trade Facilitation Agreement, जो व्यापार बाधाओं को कम करता है। * व्यापार पूर्वानुमान : टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम कर वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाता है। * पारदर्शिता और निगरानी : Trade Policy Review Mechanism (TPRM) के माध्यम से नीतियों की निगरानी होती है। * विकासशील देशों को सहायता : तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण क...

भारत पर अमेरिकी टैरिफ: कारण, प्रभाव और समाधान

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India US Trade Relations 2025 by Ravi Kumar Manjhi अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नया तनाव: भारत पर अमेरिकी टैरिफ और इसके दूरगामी प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जगत में हाल ही में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। अमेरिका ने भारत और ब्राज़ील पर 50% तक का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसका सीधा कारण भारत का रूस से कच्चा तेल खरीदना और रक्षा उपकरण आयात जारी रखना बताया गया है। यह निर्णय न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि कूटनीतिक संबंधों के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) स्वयं रूसी ऊर्जा का आयात करते हुए भी भारत की ऊर्जा नीति की आलोचना कर रहे हैं। भारत ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि उसकी ऊर्जा नीति राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय है और 1.4 अरब नागरिकों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तेल आयात पूरी तरह से बाजार आधारित कारकों पर निर्भर है। अमेरिका के टैरिफ लगाने के मुख्य कारण • उच्च टैरिफ और गैर-शुल्कीय अवरोध : अमेरिका का आरोप है कि भारत दवाइयों, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि क्षेत्र में ऊँचे आयात शुल्क और जटिल नियमों के ज़रिए बाजार पहुँच को सीमित ...