युवाओं की शिक्षा, नशा और सोशल मीडिया की जंग

The battle between Indian youth's education, drugs and social media - By Ravi Kumar Manjhi


 

युवा ही किसी भी राष्ट्र की असली ताकत होते हैं, लेकिन आज की युवा पीढ़ी नशे और सोशल मीडिया के जाल में फंसी हुई नजर आ रही है। यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) के अनुसार, विश्व स्तर पर युवाओं में नशे के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) की रिपोर्ट भी यह दर्शाती है कि नशे की प्रवृत्ति शिक्षा की कमी, सामाजिक दबाव और बेरोजगारी से गहरा जुड़ा हुआ है। नशा केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक तबाही का कारण भी बन रहा है।


शिक्षा युवाओं को नशे से दूर रखने में सबसे प्रभावशाली हथियार है। लेकिन हमारे देश में अभी भी लाखों युवा शिक्षा से वंचित हैं, जिससे वे नशे की ओर आकर्षित हो जाते हैं। नशा एक ऐसी बुराई है जो युवा वर्ग की क्षमता, नैतिकता और उनके उज्ज्वल भविष्य को निगल रही है। यह समस्या केवल व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि इसका प्रभाव समाज और राष्ट्र के विकास पर भी पड़ता है। आजकल युवाओं में नशे की लत तेजी से बढ़ रही है। शराब, तंबाकू, गांजा, अफीम और नशीली दवाइयों के अलावा, आधुनिक समय में कोकीन, हेरोइन और 'सिंथेटिक ड्रग्स' का प्रचलन भी खूब बढ़ा है।


वहीं सोशल मीडिया का दौर भी युवाओं के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलू जैसे जानकारी का तेजी से प्रसार, सामाजिक संपर्क और शिक्षा के नए माध्यम युवाओं के विकास में सहायक हैं। लेकिन इसके अत्यधिक उपयोग से मानसिक तनाव, डिजिटल डिप्रेशन, और असामाजिक व्यवहार बढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग, फेक न्यूज और मानसिक दबाव ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर किया है। क्या हम अपने युवाओं को सही दिशा दे पा रहे हैं?


सरकारी योजनाओं और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा नशा मुक्ति और शिक्षा बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, परन्तु शिक्षा की गुणवत्ता और सामाजिक जागरूकता की कमी इस समस्या को बढ़ावा देती है। बेरोजगारी और सामाजिक अस्थिरता के कारण कई युवा नशे की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जो उनकी जीवनशैली और भविष्य को प्रभावित करता है।

 

अब जानते हैं छत्तीसगढ़ में युवाओं और नशे के सम्बन्धों के बारे में

 

छत्तीसगढ़ राज्य भारत में शराब उपभोग के मामले में शीर्ष स्थान पर है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ में नशे से जुड़ी आपराधिक घटनाओं में पिछले वर्षों में बढ़ोतरी हुई है। यहां युवा वर्ग में नशे की प्रवृत्ति चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुकी है। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘नशा मुक्त प्रदेश’ बनाने के लिए विभिन्न अभियान चलाए हैं, जिनका उद्देश्य युवाओं को नशे से दूर रखना और उनकी शिक्षा व कौशल विकास पर जोर देना है। हालांकि, अभी भी नशे की समस्या को पूरी तरह से खत्म करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।

 

निष्कर्ष

 

युवाओं का उज्ज्वल भविष्य तभी संभव है जब उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, वे सोशल मीडिया का सही उपयोग करें और नशे जैसी घातक आदतों से दूर रहें। सरकारी और सामाजिक संस्थाओं को मिलकर युवाओं के लिए अधिक सशक्त और समर्पित कार्यक्रम चलाने होंगे। समाज में कुछ पेशेवर लोगों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, जैसे कि अध्यापक, नेता, खिलाड़ी और अभिनेता। यदि ये लोग अपनी आचार संहिता को भूल जाएं, तो समाज पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। आज हम देखते हैं कि कई अभिनेता और खिलाड़ी शराब और गुटखे के विज्ञापन करते हैं, जो युवाओं को गलत संदेश देते हैं। युवा ही देश का भविष्य हैं, इसलिए उनकी रक्षा और सही दिशा देना हम सभी की जिम्मेदारी है।


#YouthAndAddiction #NashaMuktiAbhiyan #DigitalDepression #EducationForYouth #SayNoToDrugs #YouthPowerIndia #ChhattisgarhYouth #SocialMediaImpact #NFHS5Report #UNODC #YouthAwareness #StopDrugAbuse #NoToAddiction #EducateYouth #NashaMuktBharat


युवाओं में नशा, नशा और शिक्षा का संबंध, सोशल मीडिया का प्रभाव, छत्तीसगढ़ में नशा, भारतीय युवा और नशा, UNODC और युवा नशा रिपोर्ट, NFHS-5 रिपोर्ट नशा, नशा मुक्त भारत अभियान, सोशल मीडिया मानसिक स्वास्थ्य, छत्तीसगढ़ नशा मुक्ति अभियान, युवाओं के लिए शिक्षा का महत्व, नशे से कैसे बचें





लेखक: रवि कुमार माँझी

(अबु धाबी, संयुक्त अरब अमीरात)
संपर्क: bilingualbyravi@gmail.com
+91 9479259772 (WhatsApp)

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

मानसिक स्वास्थ्य: युवाओं के जीवन का अनदेखा संकट

फ्रेंच वर्णमाला हिंदी में सीखें | Learn French Alphabet in Hindi | शुरुआती लोगों के लिए आसान फ्रेंच | Bilingual by Ravi