नेबरहुड फर्स्ट: नारे से आगे बढ़ने का समय

The instability spread from Nepal to Bangladesh is not only their problem but is also a big test for India. By Ravi Kumar Manjhi. हाल के महीनों में नेपाल और बांग्लादेश में जिस तरह राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली है, उसने पूरे दक्षिण एशिया को झकझोर दिया है। निराश और अवसरहीन होते जा रहे शिक्षित युवा, जो डिजिटल रूप से दुनिया से जुड़े और राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक हैं, अब अपनी ही व्यवस्था से मोहभंग महसूस कर रहे हैं। इन देशों की लोकतांत्रिक संरचना धीरे-धीरे कुलीनतंत्र में तब्दील होती जा रही है, जहाँ सत्ता का इस्तेमाल आम जनता की आकांक्षाओं की बजाय राजनीतिक अभिजात वर्ग के हित साधन में हो रहा है। भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” नीति, जो पड़ोस में स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लेती है, इन हालात में और भी प्रासंगिक हो उठी है। परंतु, अवसरवादी राजनीतिक संलग्नताओं और सीमित कूटनीतिक संसाधनों के चलते इस नीति के नतीजे अपेक्षा के अनुसार नहीं रहे। उपमहाद्वीप की साझा चुनौतियाँ इस ओर इशारा करती हैं कि द्विपक्षीय रिश्तों से आगे बढ़कर अब एक समग्र क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। पड़ोसी...