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मजबूरियां बनाना या मजबूती से खड़े रहना? शिक्षा से रोजगार या संयोग से स्वरोजगार? क्या है ज़रुरी?

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  Compulsion or strength: What is the right direction for Indian youth? मजबूरी या मजबूती: युवाओं के लिए सही दिशा क्या है? मजबूरियां बनाना या मजबूती से खड़े रहना? शिक्षा से रोजगार या संयोग से स्वरोजगार? क्या है ज़रुरी? हर व्यक्ति के जीवन में एक क्षण आता है, जब उसे दोराहे पर खड़ा होना पड़ता है- या तो वह परिस्थितियों को अपनी मजबूरी बना ले, या फिर उन्हीं परिस्थितियों से खुद को और मज़बूत करे। यह स्थिति खासकर युवाओं में अधिक देखने को मिलती है। लेकिन आज की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि हमारी युवा पीढ़ी सफलता के लिए मेहनत करने से ज्यादा, बहाने बनाने और बाहरी दबावों में फंसने लगी है। मेरी यह लेख इसी संघर्ष और समाधान को समझने का प्रयास है। समाज का दबाव और दिखावा वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट "Education 4.0" यह बताती है कि भारत में शिक्षा का स्तर बढ़ा है, लेकिन 12वीं के बाद उच्च शिक्षा हासिल करने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। इसका बड़ा कारण समाज की दिखावटी सोच है। हम शिक्षा में निवेश करने के बजाय फिजूल के खर्चों में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। माता-पिता अपने बच्चों की वास्तविक क्षमताओं...