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नेबरहुड फर्स्ट: नारे से आगे बढ़ने का समय

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  The instability spread from Nepal to Bangladesh is not only their problem but is also a big test for India. By Ravi Kumar Manjhi. हाल के महीनों में नेपाल और बांग्लादेश में जिस तरह राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिली है, उसने पूरे दक्षिण एशिया को झकझोर दिया है। निराश और अवसरहीन होते जा रहे शिक्षित युवा, जो डिजिटल रूप से दुनिया से जुड़े और राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक हैं, अब अपनी ही व्यवस्था से मोहभंग महसूस कर रहे हैं। इन देशों की लोकतांत्रिक संरचना धीरे-धीरे कुलीनतंत्र में तब्दील होती जा रही है, जहाँ सत्ता का इस्तेमाल आम जनता की आकांक्षाओं की बजाय राजनीतिक अभिजात वर्ग के हित साधन में हो रहा है। भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” नीति, जो पड़ोस में स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लेती है, इन हालात में और भी प्रासंगिक हो उठी है। परंतु, अवसरवादी राजनीतिक संलग्नताओं और सीमित कूटनीतिक संसाधनों के चलते इस नीति के नतीजे अपेक्षा के अनुसार नहीं रहे। उपमहाद्वीप की साझा चुनौतियाँ इस ओर इशारा करती हैं कि द्विपक्षीय रिश्तों से आगे बढ़कर अब एक समग्र क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। पड़ोसी...

भारत-जापान रणनीतिक साझेदारी: एक नया आयाम

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India-Japan Strategic Partnership: A New Dimension by Ravi Kumar Manjhi भारत और जापान के बीच विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी (Special Strategic and Global Partnership) आज एक नए आयाम पर पहुँच चुकी है। दोनों देश न केवल ऐतिहासिक रूप से जुड़े हुए हैं, बल्कि आधुनिक समय में आर्थिक, तकनीकी, रक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी एक-दूसरे के मज़बूत सहयोगी बन चुके हैं। ऐतिहासिक संबंध भारत और जापान के बीच संबंध कोई नए नहीं हैं। बौद्ध धर्म ने दोनों देशों को एक गहरे सांस्कृतिक धागे में बाँधा है। स्वतंत्रता के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा जापान को हाथी भेंट करना इन संबंधों का प्रतीक रहा। वर्ष 1952 में शांति संधि पर हस्ताक्षर कर भारत ने जापान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित किए। रणनीतिक साझेदारी का विकास वर्ष 2000: वैश्विक साझेदारी वर्ष 2006: रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी वर्ष 2014: विशेष रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी वर्ष 2015: ‘भारत-जापान विज़न 2025’ इन समझौतों ने दोनों देशों के रिश्तों को लगातार मज़बूत किया है। प्रमुख क्षेत्र 1. रक्षा एवं सुरक्षा  : संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा प...

WTO: वैश्विक व्यापार में विकास और संरक्षणवाद का संतुलन

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WTO: Balancing development and protectionism in global trade by Ravi Kumar Manjhi. अमेरिका के एकतरफा शुल्क बढ़ाने के कदम ने WTO (World Trade Organization) की ताकत और भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे वैश्विक व्यापार में विवाद सुलझाने और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा बनाए रखने की इसकी भूमिका कमजोर होती दिख रही है। विश्व व्यापार संगठन (WTO), 1995 में मैराकेश समझौते के तहत स्थापित, वैश्विक व्यापार का केंद्रीय मंच है। इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है और 166 सदस्य देश इसका हिस्सा हैं, जो वैश्विक व्यापार का लगभग 98% प्रतिनिधित्व करते हैं। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मुख्य कार्य * नियम और वार्ता का मंच : WTO बहुपक्षीय मंच प्रदान करता है, जैसे 2013 का Trade Facilitation Agreement, जो व्यापार बाधाओं को कम करता है। * व्यापार पूर्वानुमान : टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम कर वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाता है। * पारदर्शिता और निगरानी : Trade Policy Review Mechanism (TPRM) के माध्यम से नीतियों की निगरानी होती है। * विकासशील देशों को सहायता : तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण क...

भारत पर अमेरिकी टैरिफ: कारण, प्रभाव और समाधान

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India US Trade Relations 2025 by Ravi Kumar Manjhi अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नया तनाव: भारत पर अमेरिकी टैरिफ और इसके दूरगामी प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय व्यापार जगत में हाल ही में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। अमेरिका ने भारत और ब्राज़ील पर 50% तक का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसका सीधा कारण भारत का रूस से कच्चा तेल खरीदना और रक्षा उपकरण आयात जारी रखना बताया गया है। यह निर्णय न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि कूटनीतिक संबंधों के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) स्वयं रूसी ऊर्जा का आयात करते हुए भी भारत की ऊर्जा नीति की आलोचना कर रहे हैं। भारत ने इस कदम का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि उसकी ऊर्जा नीति राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय है और 1.4 अरब नागरिकों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तेल आयात पूरी तरह से बाजार आधारित कारकों पर निर्भर है। अमेरिका के टैरिफ लगाने के मुख्य कारण • उच्च टैरिफ और गैर-शुल्कीय अवरोध : अमेरिका का आरोप है कि भारत दवाइयों, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि क्षेत्र में ऊँचे आयात शुल्क और जटिल नियमों के ज़रिए बाजार पहुँच को सीमित ...

युवाओं की शिक्षा, नशा और सोशल मीडिया की जंग

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The battle between Indian youth's education, drugs and social media - By Ravi Kumar Manjhi   युवा ही किसी भी राष्ट्र की असली ताकत होते हैं, लेकिन आज की युवा पीढ़ी नशे और सोशल मीडिया के जाल में फंसी हुई नजर आ रही है। यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) के अनुसार, विश्व स्तर पर युवाओं में नशे के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) की रिपोर्ट भी यह दर्शाती है कि नशे की प्रवृत्ति शिक्षा की कमी, सामाजिक दबाव और बेरोजगारी से गहरा जुड़ा हुआ है। नशा केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक तबाही का कारण भी बन रहा है। शिक्षा युवाओं को नशे से दूर रखने में सबसे प्रभावशाली हथियार है। लेकिन हमारे देश में अभी भी लाखों युवा शिक्षा से वंचित हैं, जिससे वे नशे की ओर आकर्षित हो जाते हैं। नशा एक ऐसी बुराई है जो युवा वर्ग की क्षमता, नैतिकता और उनके उज्ज्वल भविष्य को निगल रही है। यह समस्या केवल व्यक्तिगत स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि इसका प्रभाव समाज और राष्ट्र के विकास पर भी पड़ता है। आजकल युवाओं में नशे की लत तेजी से बढ़ रही है। शराब, तंबाकू,...

नई भाषा सीखने के 6 जबरदस्त फायदे: करियर से लेकर आत्मविश्वास तक!

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  6 Amazing Benefits of Learning a New Language: From Career to Confidence नई भाषा सीखना सिर्फ एक स्किल नहीं, बल्कि एक ऐसा उपकरण है जो आपके करियर, आत्मविश्वास और जीवन के हर पहलू में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। आइए जानते हैं नई भाषा सीखने के मुख्य फायदे: नई भाषा सीखने के फायदे | Benefits of Learning a New Language 1. करियर के अवसर बढ़ाना | Career Opportunities नई भाषा (New Language) सीखने से आपको बहुराष्ट्रीय कंपनियों (Multinational Companies) में नौकरी पाने का मौका मिलता है। यह आपके प्रोफेशनल प्रोफाइल को मजबूत बनाता है और आपको ग्लोबल जॉब मार्केट (Global Job Market) में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है। 2. दिमाग को तेज बनाना | Brain Development नई भाषा सीखना आपके मस्तिष्क को तेज और सक्रिय बनाता है। यह समस्या समाधान (Problem Solving) और स्मरण शक्ति (Memory Power) को सुधारने में मदद करता है। 3. विदेश यात्रा में सहूलियत | Travel Ease अगर आप विदेश यात्रा (Travel Abroad) या पढ़ाई (Study Abroad) का सोच रहे हैं, तो नई भाषा आपकी मदद कर सकती है। इससे आप स्थानीय लोगों के साथ जुड़ाव महसूस करे...

मानसिक स्वास्थ्य: युवाओं के जीवन का अनदेखा संकट

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Mental health: The unseen crisis plaguing the lives of Indian youth by Writer Ravi Kumar Manjhi भारत जनसंख्या के मामले में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है। वर्तमान में भारत सबसे युवा देश है और यहाँ के जनसंख्या का लगभग 65 फीसदी हिस्सा 35 वर्ष की आयु से नीचे है। युवावस्था को आमतौर पर जीवन का स्वस्थ समय माना जाता है लेकिन भारत में युवाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य (मेंटल हेल्थ) का विषय एक गंभीर समस्या के रूप में उभर रहा है। आधुनिक जीवनशैली, प्रतिस्पर्धा  और सामाजिक दबाव ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाला है। मेंटल हेल्थ व अवसाद का सीधा अर्थ है हमारे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की स्थिति। यह हमारी सोचने, समझने और महसूस करने की क्षमता को प्रभावित करता है। शायद आप जानकर हैरान हो जायेंगे कि दुनिया में सबसे ज्यादा आत्महत्या के आंकड़े भारत में दर्ज किए गए हैं जिनमें से 41%  प्रभावित लोगों की उम्र 30 वर्ष से कम है जिसका प्रमुख कारण ही मानसिक तनाव, एंग्जायटी और अवसाद है। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 5 करोड़ से भी ज्यादा लोग डिप्रेशन यानी अवसाद के शिकार हैं तो वहीं 3 करोड़...